तीन मार्च को उत्तराखंड परिवहन निगम के सहायक महाप्रबंधक केएस राणा ने फोरमैन आवास पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर पक्के भवन बनाकर रह रहे 11 परिवारों को नोटिस जारी किए थे। जिसमें 18 मार्च तक अतिक्रमण हटाने की मोहलत दी गई थी। लेकिन इन परिवारों ने भवन खाली नहीं किए। इस पर मंगलवार को निगम के जीएम पवन मेहरा, डीजीएम तकनीकी भूपेश कुशवाहा, टीकाराम व आरएम पूजा जोशी व भूमि भवन देहरादून के अभियंता पीके दीक्षित लाव-लश्कर के साथ फोरमैन आवास पहुंचे।
इधर, लोक निर्माण विभाग ने भी 47 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर स्वयं अतिक्रमण हटाने की हिदायत दी है। इससे अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
अतिक्रमणकारियों ने की विस्थापन की मांग
फोरमैन आवास के भवनों पर अवैध रूप से कब्जा कर रह रहे परिवार घर टूटते देख रोते रहे। उन्होंने प्रशासन से विस्थापन की मांग की। कहा कि ऐसे अचानक भवनों को ध्वस्त कर दिया जाएगा तो वह कहां रहेंगे। हटाए जा रहे परिवारों को विस्थापित किया जाए। आसपास के व्यापारी भी मेयर को ज्ञापन देकर विस्थापित करने की मांग कर चुके हैं।
हथौड़े बजते ही मच गई चीख पुकार
भारी पुलिस फोर्स के साथ परिवहन निगम की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची तो परिवारों की महिलाएं सहम गईं। एआरएम केएस राणा ने अपनी विभागीय टीम को बिजली के मीटरों से संयोजन काटने और हथोड़ों से दीवार ढहाने का आदेश दिया। जैसे ही वर्कशॉप की तरफ से कर्मचारियों ने हथौड़े चलाए तो घरों में चीख-पुकार मच गई। महिलाएं हाथ जोड़ने लगीं और कमरों से सोए बच्चे भी रोते हुए निकले। कई बच्चों को सोते से ही परिवार के लोग उठाकर बाहर को भागने लगे। तहसीलदार ने कर्मचारियों को सामान हटाने तक दीवार न तोड़ने को कहा, तब जाकर लोग शांत हुए और सामान निकालने में जुट गए।