उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में यह आयोजन उत्तराखंड को नई पहचान दिलाने वाला प्रयास है। यह सर्वे संतु निरामय: का संदेश भी घर-घर तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश की प्रथम योग नीति बनाने की दिशा में भी राज्य में काम चल रहा है।
आयुर्वेद की भूमि रही है उत्तराखंड की धरती
उत्तराखंड हर क्षेत्र में अग्रणी बने, इस दिशा में सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद कांग्रेस में होने वाले मंथन से निकलने वाला अमृत आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत ही नहीं विश्व में अलख जगाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद एवं आयुष के प्रभाव को सभी ने देखा है।
उन्होंने कहा कि विश्व आयुर्वेद कांग्रेस, आयुर्वेद के फायदों व आधुनिक तकनीक के साथ इसके एकत्रीकरण के प्रति जागरूकता फैलाएगा। साथ ही आयुर्वेद के क्षेत्र में ज्ञान साझा करने, शोध, सहयोग व व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देगा।
आयुष नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से आयुष निर्माण, वेलनेस, शिक्षा, कृषि क्षेत्र को गति दी जा रही है। टिहरी, कोटद्वार व टनकपुर में 50 शैयायुक्त आयुष अस्पतालों का निर्माण चल रहा है। आयुष आधारित 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना की जा चुकी है। 150 से अधिक आयुष अस्पतालों को एनएबीएच मान्यता प्राप्त हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव रविनाथ रमन, विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के ट्रस्टी रजनीश पुराणिक ने भी विचार रखे। संचालन निदेशक आयुष विजय जोगदंडे ने किया।