देहरादून घंटाघर स्थित MDDA की पार्किंग में सेकेंड हैंड कारों का बाज़ार लगवाने पर आयोग ने MDDA सचिव को नोटिस जारी कर CCTV फुटेज सहित रिपोर्ट की तलब

देहरादून के घंटाघर क्षेत्र में स्थित मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की पार्किंग का इस्तेमाल आमजनता की गाड़ियां पार्क करवाने के बजाय सेकेंड हैंड कारों का बाज़ार लगवा कार बिक्री का कार्य किये जाने मामलें की मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में दर्ज करवाई गई शिकायत।

देहरादून के घंटाघर क्षेत्र में स्थित मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की पार्किंग का इस्तेमाल आमजनता की गाड़ियां पार्क करवाने के बजाय सेकेंड हैंड कारों का बाज़ार लगवा कार बिक्री का कार्य किया जा रहा हैं ।
आम जनता की गाड़ियों के लिए बनी B2 पार्किंग फ़्लोर को किराये पर दे दिया गया हैं । जानकारी के मुताबिक MDDA द्वारा यह कॉम्प्लेक्स GTM ग्रुप को दिया गया था परन्तु इस कॉम्प्लेक्स की B2 पार्किंग फ्लोर पर पुरानी कारें बेचने के लिए गाड़ियों का जमावड़ा लगा हुआ रहता हैं।
इस सब के लिए स्पष्ट रूप से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण जिम्मेदार है क्योंकि यह कॉम्प्लेक्स उनके द्वारा ही GTM को किराए पर दिया हुआ है ।
शिकायतकर्ता ने इस मामलें में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि उपरोक्त मामला बहुत ही गंभीर और स्पष्ट रूप से आमजनता से जुड़ा हुआ हैं, पूरे शहर में गाड़ियों की भरमार की वजह से पार्किंग की बहुत ही बड़ी समस्या हैं, तथा आमजनता की परेशानियों को देखते हुए यह पार्किंग कॉम्प्लेक्स में आने वाले लोगों/ कॉम्प्लेक्स के आसपास के दुकानदारों एवं इन दुकानों में खरीददारी करने आने वाले लोगों के लिए बनाई गई हैं, परन्तु इस पार्किंग के एक पूरे फ़्लोर को पुरानी कारों के सेल बाज़ार के लिए दे दिया गया हैं,वयापक जनहित में MDDA से इस कॉम्प्लेक्स की पार्किंग की पिछले 3 माह की सीसीटीवी फुटेज मंगवा कड़ी कार्यवाही करने की कृपा करें।
मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चन्द्र शर्मा द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किए गए।
शिकायतकर्ता द्वारा देहरादून के घंटाघर क्षेत्र में स्थित मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की पार्किंग का इस्तेमाल आमजनता की गाड़ियां पार्क करवाने के बजाय सेकंड हैंड कारों का बाजार लगवा कार बिक्री का कार्य के संबंध में शिकायती पत्र प्रस्तुत किया गया है। एमडीडीए के सचिव को निर्देशित किया जाता है इस संबंध में अपनी आख्या 4 सप्ताह तक आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

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