हरिद्वार की जिला जेल में दिनाँक 28 और 29 जुलाई को जिला कारागार में कैदियों की हेपेटाइटिस की जांच के साथ ही कोरोना संक्रमण की जाँच हेतु आरटीपीसीआर जांच की गई थी तथा जब कोरोना संक्रमण की आरटीपीसी की जांच रिपोर्ट आई तो जिला जेल में 43 बंदी कोरोना संक्रमित संक्रमित पाये गए लेकिन इतनी बड़ी संख्या में एक साथ कैदियों के संक्रमित मिलने के बावजूद जिला कारागार में जेल प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं
हरिद्वार की जिला जेल में दिनाँक 28 और 29 जुलाई को जिला कारागार में कैदियों की हेपेटाइटिस की जांच के साथ ही कोरोना संक्रमण की जाँच हेतु आरटीपीसीआर जांच की गई थी तथा जब कोरोना संक्रमण की आरटीपीसी की जांच रिपोर्ट आई तो जिला जेल में 43 बंदी कोरोना संक्रमित संक्रमित पाये गए लेकिन इतनी बड़ी संख्या में एक साथ कैदियों के संक्रमित मिलने के बावजूद जिला कारागार में जेल प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं है।
जेल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल उठाया हैं इनका कहना है कि हेपेटाइटिस की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाने की जानकारी दी थी लेकिन न तो शिविर के दिन कोरोना सैंपलिंग की जांच की सूचना दी और न ही बाद में संक्रमण होने की पुष्टि की रिपोर्ट समय से उपलब्ध कराई। उन्हें बिना बताए ही सैंपल ले लिए गए,पहले 43 संक्रमित बताए गए और बाद में 36 संक्रमितों की जानकारी दी गयी,इससे स्वास्थ्य विभाग सही आंकड़ा देने में फेल साबित हो रहा है।
भूपेन्द्र लक्ष्मी ने इस अत्यन्त ही संवेदनशील मामले में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि जेल में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहे हैं, तथा जेल प्रशासन स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगा रहा हैं इसलिये बंदियों की जानमाल की हानि से जुड़े इस अत्यन्त ही गम्भीर मामलें में बंदियों के ईलाज उनके रहने खाने आदि से जुड़ी समस्त व्यवस्थाओं हेतु आदेश जारी कर सम्पूर्ण मामलें की रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें तथा वयापक जनहित में उत्तराखंड के अन्य समस्त जिलों की जेलों के बंदियों की भी कोरोना जाँच करवाने के आदेश पारित करने की कृपा करें क्योंकि हरिद्वार की तरह अन्य जिलों में भी यह स्थिति हो सकती है।
आयोग द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किए गए कि शिकायतकर्ता ने जिला कारागार हरिद्वार की जेल में बड़ी संख्या में बंदियों के कोरोना संक्रमित पाये जाने पर भी कोई कदम न उठाये जाने के सम्बन्ध में शिकायत प्रस्तुत की है। महानिरीक्षक कारागार उत्तराखण्ड को निर्देशित किया जाता हैं कि सुनवाई की नियत तिथि 26.9.2022 से पूर्व अपना जवाब आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें।