लखनऊ। भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी को नौजवान चेहरे के माध्यम से युवा तेवर देने की कोशिश की है। जब सारे राजनीतिक दल युवाओं को साधने की जुगत में लगे हों तो ढलती उम्र के तकाजे से ही सही, मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले 28 वर्षीय आकाश पर सियासत का फोकस बढ़ाकर यह सधा दांव चला है।
पिछले छह वर्षों से राजनीति में सक्रिय आकाश बसपा के मंचों और पार्टी की बैठकों में मायावती के साथ दिखते रहे हैं। 1995 में जन्मे आकाश ने लंदन से मास्टर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है।
2017 में आकाश ने राजनीति में की थी एंट्री
राजनीति में उनका पदार्पण 2017 में हुआ जब वह सहारनपुर में मायावती की जनसभा में उनके साथ मंच पर दिखे थे। मायावती ने बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों से भतीजे का परिचय कराते हुए कहा था कि वह पार्टी के मामलों में शामिल हुआ करेंगे।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा एका के आकाश भी साक्षी रहे। उस चुनाव में बसपा के चुनाव प्रचार प्रबंधन की कमान आकाश ने ही संभाली थी। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर मायावती की सक्रियता के सूत्रधार भी आकाश ही माने जाते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सपा से गठबंधन तोड़ने के बाद मायावती ने आकाश को बसपा के नेशनल कोआर्डिनेटर का दायित्व सौंपा था। 2022 में हुए उप्र विधानसभा चुनाव में आकाश के ही दिशानिर्देशन में बसपा की इंटरनेट मीडिया विंग ने काम किया।
स्टार प्रचारकों की सूची में दूसरे नंबर पर थे आकाश
पिछले साल हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के लिए घोषित बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची में आकाश का नाम मायावती के बाद दूसरे नंबर पर था। इसी वर्ष 26 मार्च को आकाश बसपा के राज्यसभा सदस्य रह चुके डा.अशोक सिद्धार्थ की पुत्री डा.प्रज्ञा के साथ परिणय सूत्र में बंधे थे।
पिछले माह संपन्न हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनावों में बसपा की चुनावी तैयारियां आकाश की देखरेख में हुई थीं। अगस्त में उन्होंने राजस्थान में पार्टी की ओर से आयोजित 14 दिवसीय पदयात्रा का नेतृत्व भी किया था।
यह बात और है कि बसपा को राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव जैसी सफलता नहीं मिली और उसे सिर्फ दो सीटों से संतोष करना पड़ा जबकि अन्य तीन राज्यों में उसका खाता भी नहीं खुला।