आमदनी के बूते अपने खर्चे नियंत्रित करने में सफल हो रहा उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड ने अपने संसाधनों से आय जुटाने के लिए जब से प्रयास तेज किए और साथ ही फिजूलखर्ची पर कैंची चलाई तो वार्षिक बजट में राजस्व घाटा सिमटने लगा है। पांच वर्षों में करों व अन्य संसाधनों से होने वाली आय डेढ़ गुना से अधिक बढ़ गई।

वित्तीय अनुशासन की इसी इच्छाशक्ति के बूते प्रदेश लगातार छह वर्षाें से राजस्व सरप्लस बना हुआ है। इसके चलते पुष्कर सिंह धामी सरकार अब प्रदेश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के संकल्प को आगे बढ़ाने में सफल होती दिख रही है।

यानी, राज्य अपने कुल संसाधनों से जितना राजस्व प्राप्त कर रहा है, अपने खर्चों को भी उसी सीमा के भीतर या उससे कम रखने में सफल हुआ है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के पुनरीक्षित बजट अनुमान इशारा कर रहे हैं कि इस अवधि में भी राज्य का बजट राजस्व सरप्लस रहने जा रहा है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान और 2024-25 के राज्य बजट के पुनरीक्षित अनुमान में भी राजस्व सरप्लस बजट आकलित किया गया है। कैग ने यह भी उल्लेख किया वर्ष 2005 के बाद से 47 हजार करोड़ की बजट राशि निर्धारित प्रक्रिया अपनाए बगैर खर्च की गई है।

प्रदेश का वार्षिक बजट इस प्रकार रहा रेवेन्यू सरप्लस

वर्ष राजस्व सरप्लस (धनराशि-करोड़ रुपये)
2023-24 3341.06
2022-23 5309.97
2021-22 4128.04
2020-21 1113.33

(नोट-वित्तीय वर्ष 2025-26 एवं 2024-25 के बजट राजस्व सरप्लस के आंकड़े अभी बजट अनुमान पर आधारित हैं, जबकि वर्ष 2023-24 से लेकर पिछले वित्तीय वर्षों के आंकड़े कैग से प्रमाणित हैं।)

उत्तराखंड को कुल राजस्व प्राप्ति की स्थिति (धनराशि-करोड़ रुपये) :

वर्ष कुल राजस्व
2019-20 30,722
2020-21 38,204
2021-22 43,057
2022-23 49,084
2023-24 50,165
2024-25 51,473

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