सोशल मीडिया पर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की छूटी खबर वायरल करने वालों के मूंह पर लगा तमाचा
रविवार दोपहर मृतक केे पोस्टमार्टम में किडनी न निकाले जाने की हुई पुष्टि
कोरोनेशन अस्पताल में हुए पोस्टमार्टम में दो डॉक्टरों के पैनल ने कहा नहीं निकाली गई किड़नी
सीएमओ देहरादून ने भी बयान जारी किड़नी न निकानी जाने की बात पर लगाई मुहर
देहरादून: रविवार को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में मरीज़ की किडनी निकाले जाने की सूचना को कुछ असामाजिक तत्वों ने षडयंत्र के तहत वायरल किया। जौनपुर समुदाय नामक व्हाट्सअप ग्रुप पर एक भ्रामक पोस्ट डालकर मरीज़ के परिजनों और आम जनमानस को गुमराह करने की कोशिश की गई। पोस्ट में फर्जी सूचना डालकर यह दर्शाया गया कि उपचार के दौरान मरीज़ की किड़नी निकाली गई है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल प्रशासन के तत्काल हरकत में आने व देहरादून के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना देने के बाद घटना की जॉच पड़ताल शुरू हुई। रविवार शाम को मृतक का पोस्टमार्टम हुआ। दो डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जानकारी दी कि किडनी मृतक के शरीर में ही पाई गई है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उपचार के दौरान मरीज़ के शरीर से अंग नहीं निकाला गया है। सीएमओ देहरादून ने भी बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की।
रविवार को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की छवि को खराब करने के उद्देश्य से जौनपुर समुदाय नामक व्हाट्सअप ग्रुप पर भ्रामक पोस्ट डालने से आमजन के बीच गलत व भ्रामक सूचना वायरल की गई थी। श्री महन्त इंदिरेश के लीगल सेल ने तत्काल एक्शन लेकर इस व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन व अन्य पर मानहानि का दावा ठोका है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के विधि विशेषज्ञों की टीम उस पोस्ट व षडयंत्र से जुड़े लोगों के बारे में विधिक राय लेकर आगे की रणनीति बना रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने के लिए माननीय न्यायालय में वाद दाखिल किया जाएगा।
काबिलेगौर है कि सोशल मीडिया व फेसबुक लाइव के नाम पर कुछ असामाजिक तत्व बडे शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों व रसूखदार व्यक्तियों को टारगेट करते हैं। ऐसे असामाजिक तत्व सनसनी फैलाने व ब्लैकमेलिंग के उद्देश्य से सोशल मीडिया व फेसबुक पर अनर्गल बातें व भ्रामक जानकारी अपलोड कर विवाद की स्थिति पैदा कर देते हैं। ऐसी घटनाएं आपके साथ भी हो सकती है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में हुई इस घटना से सभी को सबक लेना चाहिए, आप सभी को भी सतर्क रहने की आवश्यता है। यह घटना सभी के लिए एक संदेश भी है कि सोशल मीडियो पर प्रसारित होने वाले किसी भी प्रकार के समाचार व सूचना की प्रमाणिकता की पुष्टि के बिना उसे आगे वायरल न करें। ऐसे किसी भी झूठे व छल प्रपंच से बने समाचार या सूचना के दुष्प्रभाव में आकर लॉ एण्ड ऑर्डर को अपने हाथ में न लें। कानून तोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति या समुदाय को इस प्रकार का कृत्य करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई से गुजरना पड़ सकता है।