केदारनाथ दुर्घटना मैनेजरों की जमानत खारिज

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ से यात्रियों को वापस लाते समय गौरीकंड खर्क की पहाड़ी पर दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकाप्टर मामले में आर्यन हेलीकाप्टर के प्रबंधक विकास तोमर व एकांटेबल मैनेजर कौशिक पाठक के खिलाफ दर्ज मामले में जिला न्यायालय में दोनों की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है। गत 15 जून को केदारनाथ धाम से लौट रहा हेलीकाप्टर दुर्घटना मामले में पायलट समेत सात यात्रियों की मौत हो गई थी। 

पुलिस ने इस मामले में कोतवाली सोनप्रयाग में आर्यन एविएशन हेली कंपंनी के प्रबन्धक विकास तोमर व एकांटेबल मैनेजर कौशिक पाठक पर 105 भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा धारा 10 वायुयान अधिनियम 1934 के तहत मामला दर्ज किया था। दोनों आरोपियों ने जिला एवं सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था।

जिला एवं संत्र न्यायाधीन में दोनों ने जमानत के लिए किया गया था आवेदन

सोमवार को सुनवाई के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहदेव सिंह ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध जानकारियों से पता चलता है कि स्लॉट के अनुसार आवंटित समय से पहले चॉपर को अनुमति दी गई थी या निर्देशित किया गया था और यह तथ्य अच्छी तरह से हेली सेवाओं के ऑपरेटर के ज्ञान के साथ था कि मौसम की स्थिति क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन होती है। आवेदकों/अभियुक्तों का कार्य गलत लाभ प्राप्त करने के लिए जानबूझकर/लापरवाह है निश्चित रूप से जांच का मामला है।

इस स्तर पर आरोप की प्रकृति गंभीर है। सावधानी की कमी, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, इस मामले को गंभीर की श्रेणी में रखा। इसलिए, आवेदकों/अभियुक्तों के पक्ष में अग्रिम जमानत का कोई मामला नहीं बनाया गया है। जमानत याचिका खारिज की जाती है।

 

कोर्ट ने तमाम साक्ष्य के बाद पाया कि आर्यन एविएशन कंपनी द्वारा 15 जून को मौसम खराब होने के बावजूद कंपंनी ने समय से पहले हेलीकॉप्टर का संचालन किया। जबकि यूकाडा द्वारा हेली संचालन के लिए सुबह 6 बजे से 7 बजे का स्लॉट आवंटित किया गया था। बावजूद नामजद आरोपियों द्वारा समय से पहले हेलीकॉप्टर का संचालन किया गया।

आवेदकों ने दिया ये तर्क

कोर्ट ने तमाम साक्ष्य के बाद पाया कि आर्यन एविएशन कंपनी द्वारा 15 जून को मौसम खराब होने के बावजूद कंपंनी ने समय से पहले हेलीकॉप्टर का संचालन किया। जबकि यूकाडा द्वारा हेली संचालन के लिए सुबह 6 बजे से 7 बजे का स्लॉट आवंटित किया गया था। बावजूद नामजद आरोपियों द्वारा समय से पहले हेलीकॉप्टर का संचालन किया गया।

आवेदकों ने दिया ये तर्क

वहीं आवेदकों के लिए वकील ने तर्क दिया कि जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड की स्थानीय पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और इस मामले की जांच करने के लिए कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। विमान अधिनियम, 1934 के तहत, केंद्र सरकार विमान दुर्घटनाओं या घटनाओं की जांच से संबंधित मामलों के संबंध में कार्यों को पूरा करने के लिए एक निकाय का गठन कर सकती है।

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