शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, जो चुनाव में सफल नहीं हो सके, अब संगठन में अपनी भूमिका को लेकर चिंतित हैं। उनके समर्थक भी पुनर्वास की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कार्यकारिणी में स्थान प्राप्त करना इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि उन्हें कार्यकारिणी में स्थान नहीं मिलता, तो उनके राजनीतिक करियर पर संकट आ सकता है। इस संदर्भ में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। वीरभद्र सरकार में स्वास्थ्य एवं राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाल चुके ठाकुर लगातार दो चुनाव हार चुके हैं और उन्हें कोई दायित्व नहीं मिला है।
उन्होंने हाल ही में बयान दिया है कि अगले चुनाव में उनका बेटा भरमौर से और वे स्वयं भटियात से चुनाव लड़ेंगे। तीसरे नेता रामलाल ठाकुर हैं, जिन्होंने एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत अपना पद छोड़ा था। कार्यकारिणी गठन में विलंब और संगठन की कमजोरियों पर उन्होंने आलाकमान के समक्ष अपनी बात रखी है। पूर्व मंत्री आशा कुमारी, जो कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रह चुकी हैं, एक दमदार नेता मानी जाती हैं।
उनके समर्थक आशा करते हैं कि उनके अनुभव का लाभ लिया जाएगा। इसी प्रकार, प्रकाश चौधरी मंडी जिले से हैं और पूर्व मंत्री रह चुके हैं। राजनीतिक माहौल यह है कि हर पक्ष अपने करीबी सहयोगी को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने का प्रयास कर रहा है। आलाकमान के समक्ष जिन नामों की पैरवी की गई है, उनके विरोध में भी आवाजें उठ रही हैं। राहुल गांधी ने स्पष्ट किया है कि इस बार जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के बजाय जनाधार वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आलाकमान को पत्र लिखा है कि अध्यक्ष पद के लिए मंत्री या अनुसूचित जाति से किसी को चुना जाए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कहना है कि कार्यकारिणी के गठन पर विस्तृत चर्चा हुई है और युवाओं को आगे लाने के साथ-साथ वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन भी आवश्यक है।