देहरादून शिमला रोड पर किए गए अवैध निर्माण के मामले में MDDA सचिव द्वारा नोटिसों का ना देने पर स्वयं या प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होने हेतु नोटिस जारी

देहरादून के शिमला बाईपास रोड के तेलपुर चौक पर एमडीडीए की तथा अन्य संबंधित विभागों की मिलीभगत से एक साथ तीन नियमों का उल्लंघन कर ,बिना मानचित्र स्वीकृति के पांच दुकानों का निर्माण किया गया है/निर्माण में भी सड़क का करीब चार फीट भाग घेरा गया है/सबसे गंभीर बात यह कि सड़क पर अतिक्रमण के चलते बिजली की सार्वजनिक लाइन को भी दुकानों/भवन के बीच से गुजार दिया गया हैं जिस कारण कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती हैं।

समस्त मामला इस प्रकार हैं कि देहरादून के शिमला बाईपास रोड पर अवैध निर्माण का एक बहुत ही गंभीर और संवेदनशील प्रकरण है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण एवं अन्य संबंधित विभागों की मिलीभगत से यहां एक साथ तीन नियम तोड़े गए हैं।
1- बिना मानचित्र स्वीकृति के पांच दुकानों का निर्माण किया गया है।
2- निर्माण में भी सड़क का करीब चार फीट भाग घेरा गया है।
3- सबसे गंभीर बात यह कि सड़क पर अतिक्रमण के चलते बिजली की सार्वजनिक लाइन को भी दुकानों/भवन के बीच से गुजार दिया गया।

इस मामले में क्षेत्रवासियों ने एमडीडीए, ऊर्जा निगम व नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई थी,परंतु एमडीडीए ने निर्माण का चालान तो किया, मगर निर्माण बंद नहीं कराया। जिसके चलते बिजली की सार्वजनिक लाइन को खुलेआम दुकानों के भीतर से गुजार दिया गया। लगातार निर्माण जारी रहने पर एमडीडीए ने 25 अगस्त 2021को निर्माण को सील करने के आदेश दिए थे, परंतु इसके बाद भी निर्माण को अब तक सील नहीं किया जा सका है। एमडीडीए ने अवैध निर्माण पर जब चालानी कार्रवाई की, तब दुकानों का लेंटर नहीं डला था, जबकि अधिकारियों की नाक के नीचे अब लेंटर भी डाल दिया गया तथा शिकायतें होने के बावजूद दुकानों का निर्माण कर दिया गया।

समाचार पत्र दैनिक जागरण के 11 अक्टूबर 2021 के अंक में एमडीडीए के उपाध्यक्ष बीके संत द्वारा बयान दिए गए थे कि यह मामला अभी संज्ञान में नहीं है इस बारे में जानकारी मांगी जाएगी, यदि नक्शा पास नहीं पाया गया या निर्माण स्वीकृत मानचित्र से भिन्न पाया जाता है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी। परन्तु कार्यवाही तो क्या होनी थी बल्कि जो भवन का अवैध निर्माण उस समय हो रहा था और अब वह भवन फुल-फ्लैश बनकर तैयार हो गया है।

नगर निगम देहरादून ने भी सड़क की चौड़ाई नापकर यह स्पष्ट किया कि सड़क पर चार फीट तक अतिक्रमण किया गया है। हालांकि, इस मामले में भी कब्जा छुड़ाने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए।

ऊर्जा निगम ने भी बिजली की लाइन को दुकानों के भीतर से गुजारने पर निर्माणकर्ता का चालान तो किया, लेकिन लाइन को दुकानों से बाहर करने की दिशा में कुछ नहीं किया गया।
इससे यह स्पष्ट होता है कि तीन एजेंसियों के संज्ञान में प्रकरण को लाने के बाद भी कोई कार्रवाई न किए जाने के चलते ऐसा प्रतीत होता हैं कि अवैध निर्माण के साथ सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करने वाले व्यक्तियों को अधिकारीयों का संरक्षण प्राप्त हैं।

इस संवाददाता द्वारा उपरोक्त अत्यंत ही गंभीर मामले में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि प्रकरण बहुत ही गंभीर हैं क्योंकि एमडीडीए की तथा अन्य संबंधित विभागों की मिलीभगत से एक साथ तीन नियमों का उल्लंघन कर ,बिना मानचित्र स्वीकृति के पांच दुकानों का निर्माण किया गया है/निर्माण में भी सड़क का करीब चार फीट भाग घेरा गया है/सबसे गंभीर बात यह कि सड़क पर अतिक्रमण के चलते बिजली की सार्वजनिक लाइन को भी दुकानों/भवन के बीच से गुजार दिया गया हैं,तथा बिजली की सार्वजनिक लाइन को भी दुकानों/भवन के बीच में से निकालने पर कभी भी कोई भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है इसलिए जनहित में समस्त मामले की रिपोर्ट तलब कर तत्काल कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की कृपा करें।
मानवाधिकार आयोग द्वारा शिकायत की गंभीरता को देखते हुए आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चन्द्र शर्मा द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई की गई तथा सचिव एमडीडीए को नोटिस जारी किए गए कि शिकायतकर्ता द्वारा शिमला बाईपास रोड के तेलपुर चैक पर एम0डी0डी0ए0 देहरादून एंव अन्य सम्बन्धित विभागों की मिलीभगत से पांच दुकानों का निर्माण किया गया है एवं दुकान निर्माण में सड़क का चार फीट एंव बिजली की सार्वजनिक लाइन को दुकानों/भवन के बीच से गुजार दिया दिये जाने के सम्बन्ध में शिकायती पत्र प्रस्तुत किया गया है।
शिकायत पत्र की प्रति सचिव, एम0डी0डी0ए0 देहरादून को प्रेषित कर दी जाये वह इस सम्बन्ध में 04 सप्ताह तक अपनी आख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगें।
सचिव MDDA द्वारा सुनवाई की नियत तिथि पर जवाब ना देने पर आयोग द्वारा पुन: आदेश जारी किए गए कि सचिव, एम.डी.डी.ए देहरादून की ओर से आख्या प्रस्तुत नही की गयी है पुनः शिकायत की प्रति उन्हें भेज दी जाए कि वह शिकायती पत्र में दिए गये कथनों पर अपनी आख्या चार सप्ताह के अन्दर अवष्य दाखिल करें। पत्रावली दिनांक 12.12.2022 को पेश की जाए।
सचिव MDDA ने इस अत्यंत ही गंभीर मामले में नियत तिथि पर आयोग में अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया जिस पर आयोग द्वारा कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश जारी किए गए कि सचिव, एम0डी0डी0ए0, देहरादून द्वारा आख्या दाखिल नहीं की गई है पुनः नोटिस जारी हो कि वे आगामी दिनांक को स्वयं आयोग के समक्ष उपस्थित होकर या किसी प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी आख्या आयोग के समक्ष अवश्य प्रस्तुत करें।पत्रावली दिनांक 27.03.2023 को सूचीबद्ध की जाये।

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