पौड़ी। इसे जुनून ही कहेंगे कि चित्रकला विषय के एक अध्यापक बच्चों के विकास में कामयाबी के रंग भरने के लिए अपने वेतन का एक हिस्सा लगा देते हैं। आर्थिक रूप के कमजोर परिवारों के 40 बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाते हैं।
जिन बच्चों की शिक्षा की राह में आर्थिक तंगी रोड़ा बन रही थी, उन्हें हौसला व सबलता प्रदान करने की ठान ली। आशीष की पहली नियुक्ति 2011 में जीआइसी एकेश्वर में हुई। 2018 से बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने बच्चों का एक समूह बनाया, जिसे दगड्या (मित्र) समूह का नाम दिया। इसमें प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक के बच्चों को शामिल किया गया।
शुरू में एकेश्वर, कल्जीखाल और पौड़ी के 90 बच्चे इससे जुड़े। इस समय 50 बच्चे सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और किसी न किसी रूप से ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। आशीष नेगी आर्थिक रूप के कमजोर परिवारों के 40 बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठा रहे हैं। इन बच्चों के विद्यालय की वार्षिक फीस, ड्रेस, पाठ्य सामग्री, जूते आदि का पूरा व्यय स्वयं वहन करते हैं। अगस्त 2024 में जीआइसी कल्जीखाल स्थानांतरण के बाद भी उनकी यह सक्रियता जारी रही।
आशीष नेगी प्रदेश के विभिन्न जिलों के विद्यालयों व अन्य संस्थानों पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से 45 हजार बच्चों को चित्रकला, मुखोटा कला, लुग्दी से मूर्ति निर्माण, रेखांकन का प्रशिक्षण दे चुके हैं।
सृजन क्षमता यात्रा से जगा रहे अलख
वह गढ़वाल मंडल क्षेत्र में सृजन क्षमता यात्रा भी निकालते हैं। इसके जरिये युवा पीढ़ी को उत्तराखंड की लोक संस्कृति, लोककला, चित्रकला को लेकर जागरुक किया जाता है।
पुस्तकालय में शिक्षा भी, नवाचार भी
दगड्या समूह के माध्यम से आशीष नेगी ने पौड़ी और एकेश्वर में पुस्तकालय बनाए हैं। इनमें पाठ्यक्रम, प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधी पुस्तकों सहित अन्य साहित्य पर कई किताबें हैं। पुस्तकालय को नवाचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है। वर्ष 2021-22 से बच्चे यहां झंगोरा, तिल, चावल, रुद्राक्ष से बच्चे आर्गेनिक राखी तैयार कर रहे हैं। इसे बाजार में बेचा जाता है। इससे होने वाली आय से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद की जाती है।