रामपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में बवाल के मुकदमों में आरोपितों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। उच्चतम न्यायालय ने संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए वसूली के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है।
उच्चतम न्यायालय ने 26 आरोपितों की ओर से दाखिल याचिका में सोमवार को चार सप्ताह के लिए वसूली पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।
दरअसल, रामपुर में 21 दिसंबर 2019 को सीएए और एनआरसी के विरोध में शाहबाद गेट पर जलसे का आयोजन हुआ था। सड़कों पर उतरी भीड़ ने कई जगह हिंसक प्रदर्शन किया था। हाथीखाना चौराहे पर पुलिस से मारपीट और पथराव भी हुआ।
छह बाइक और पुलिस की एक जीप भी फूंक दी गई। इस दौरान गोली चलने से एक युवक की मौत हो गई थी। पुलिस पर भीड़ ने पेट्रोल बम तक फेंके थे। पुलिस ने इस मामले में गंज और शहर कोतवाली में हजारों लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।
बलवा, जानलेवा हमला, लूट, हत्या, मारपीट, लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, सात क्रिमनल ला अमेंडमेंट एक्ट आदि धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे। पुलिस पर पथराव करते हुए भीड़ के फोटो के जरिए पुलिस ने आरोपितों की पहचान कर गिरफ्तारियां की थीं।
हमलावरों पहचान होने के बाद इनसे सरकारी संपत्ति की वसूली के आदेश हुए थे। चूंकि हिंसा की घटनाएं अन्य जिलों में भी हुई थीं, जिसके लिए प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली के लिए उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली दावा अधिकरण का गठन किया गया था।
पश्चिमी क्षेत्र के जिलों के लिए यह अभिकरण मेरठ में बनाया गया है। उत्तर प्रदेश लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली दावा न्यायाधिकरण मेरठ ने रामपुर के 195 लोगों को दोषी मानते हुए इनसे 11.08 लाख रुपये वसूली का आदेश दिया था।