निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही समाजवादी पार्टी उम्मीदवार चयन मे जुट गई है। पार्टी जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखेगी, लेकिन युवाओं को ज्यादा मौका देगी। महापौर, पालिका परिषद व नगर पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की घोषणा प्रदेश कार्यालय से मुहर लगने के बाद होगी।
पार्षद एवं सभासदों के नाम स्थानीय स्तर पर तय किए जाएंगे। सभी प्रभारियों से उम्मीदवारों के नाम का पैनल मांगा गया है। प्रदेश मुख्यालय से यह भी निर्देश दिया गया है कि इस चुनाव में आपसी समन्वय का ध्यान रखा जाए। जहां किसी तरह गुटबाजी नजर आए तो पार्टी के पूर्व सांसद, विधायक व पूर्व विधायक सहित अन्य वरिष्ठ नेता हस्तक्षेप करते हुए आपसी समन्वय बनाएं।
सपा ने नगर निगमों के लिए विधायकों को प्रभारी बनाया है। इसमें एक इलाके के विधायक को दूसरे इलाके के क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। आरक्षण सूची जारी होने के बाद सभी प्रभारी अपने- अपने इलाके का दौरा कर संभावित उम्मीदवारों का पैनल बना चुके हैं। इसी तरह नगर पालिका परिषद अध्यक्ष एवं नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए जिले स्तर पर प्रभारी बनाए गए हैं।
सियासी अंकगणित का रखा जाएगा विशेष ध्यान
प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी प्रभारियों से आरक्षण के अनुसार अध्यक्ष पद के नाम का पैनल तैयार कर प्रदेश मुख्यालय भेजने का निर्देश दिया है। पार्टी की रणनीति है कि अध्यक्ष ही नहीं बल्कि पार्षद एवं सभासद की हर सीट पर पूरा जोर लगाया जाएगा। इसके लिए उम्मीदवार चयन करते वक्त संबंधित क्षेत्र की सियासी अंकगणित का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
आरक्षित सीट पर उन महिलाओं को तवज्जो… जो सियासी रूप से सक्रिय
संबंधित इलाके में पार्टी के समर्थकों की संख्या कितनी है, इसका आंकलन किया जाएगा। जातीय समीकरण के साथ यह भी ध्यान रखा जाएगा कि युवा चेहरे ज्यादा से ज्यादा उतारे जाएं। महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर उन महिलाओं को तवज्जो दी जाएगी, जो सियासी रूप से सक्रिय हैं। सियासी परिवार से उम्मीदवार उतारते समय भी इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि अन्य उम्मीदवारों की अपेक्षा पार्टी की ओर से तय किए जा रहे उम्मीदवार की लोगों में पकड़ कितनी है।
सप्ताहभर में घोषित हो जाएंगे महानगर अध्यक्ष
प्रदेश में करीब 35 जिलों में अभी तक जिलाध्यक्ष एवं महानगर अध्यक्ष की घोषणा नहीं की गई है। अधिसूचना जारी होने के बाद अब उम्मीद है कि इसी सप्ताह सभी महानगर और जिलाध्यक्ष की घोषणा हो जाएगी। हालांकि इससे पहले निवर्तमान जिलाध्यक्षों एवं निवर्तमान महानगर अध्यक्षों को निर्देश दिया गया था कि वे पहले से चल रही बूथ कमेटियों को सक्रिय कर दें।