प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय राज्यहित में योगदान के लिए अपनी विशेषज्ञता के आधार पर एक-एक शोध प्रस्तुत करें। यह कहना है राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) का। उन्होंने यह बात राजभवन में राज्य विवि के कुलपतियों की बैठक लेते हुए कही। इस दौरान उन्होंने यूटीयू की ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ किया।
राज्यपाल ने कहा, वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च पर आधारित यह शोध राज्य के विकास और लोगों के जीवन के लिए उपयोगी होगा। विश्वविद्यालय एक वर्ष तक अपने गहन शोध के माध्यम से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। शोध विषय का चयन विशेषज्ञता के अनुसार करें। शोध के आधार पर तैयार दस्तावेज को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए इसे सरकार से साझा किया जाएगा।
कहा, विश्वविद्यालयों के शोध एवं अनुसंधान का लाभ लोगों को मिले तभी इसकी सार्थकता होगी। बैठक में सभी कुलपतियों ने शोध किए जाने वाले विषयों पर अपने प्रस्तुतीकरण दिए। कहा, कुलपति डिजिटलीकरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए विश्वविद्यालयों में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
श्रेष्ठ शिक्षक और श्रेष्ठ शोध अवार्ड योजना होगी शुरू
राज्यपाल ने विवि की प्रत्येक कार्यप्रणाली में तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करने के निर्देश दिए। यूटीयू के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह ने विवि की ओर से दिए जाने वाली अंक तालिका एवं उपाधियों में सुरक्षा विशेषता संबंधी प्रस्तुतीकरण दिया। बताया, छात्रों को दी जाने वाले उपाधि व अंक तालिकाओं में 25 सुरक्षा विशेषता हैं जो डुप्लीकेसी की संभावना को खत्म करेगी, इसकी शुरूआत विवि ने कर दी।
राज्यपाल ने विवि में शिक्षकों व शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ शिक्षक, श्रेष्ठ शोध अवार्ड शुरु करने के निर्देश दिए। कहा, इससे शिक्षक व शोधार्थी प्रेरित होंगे और वे अधिक ऊर्जा के साथ कार्य करेंगे। राज्यपाल ने विवि में ई-लाइब्रेरी स्थापित करने के भी कुलपतियों को निर्देश दिए। कहा, तकनीकी की इस दौर में ई-लाइब्रेरी का होना बेहद जरूरी है। राज्यपाल ने वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विवि (यूटीयू) की ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ भी किया। इस ई-लाइब्रेरी में 7.24 लाख पाठ्यसामग्री उपलब्ध हैं।