प्रदेश में पूरे माह औसत वर्षा 36 प्रतिशत अधिक की गई दर्ज
इस बार ग्रीष्मकाल में मार्च से लेकर मई के बीच रुक-रुककर वर्षा के दौर होते रहे। जिससे गर्मी सामान्य से कम रही। आमतौर पर सबसे गर्म रहने वाले मई में भी पारा सामान्य के आसपास ही बना रहा और बारिश सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई। वहीं, पूरे ग्रीष्मकाल में भी मेघ 32 प्रतिशत अधिक बरसे। एक जून से मानसून सीजन माना जाता है। जिसमें शुरुआत से ही वर्षा के दौर होते रहे। इसके बाद बीते 20 जून को दक्षिण-पश्चिम मानसून की दस्तक के बाद बारिश ने जोर पकड़ लिया और कई जगह भारी बारिश हुई।
ग्रीष्मकाल के बाद मानसून की शुरुआत में भी झमाझम बरसे मेघ
देहरादून में भी मानसून ने समय से पहले सक्रियता दिखाई। सामान्य 193.4 मिमी की तुलना में यहां 306.5 मिमी वर्षा हुई, जो कि 58 मिमी अधिक है। लगातार भारी बारिश के कारण शहर के कई इलाकों में जलभराव, पुस्ता ढहने और मकानों के क्षतिग्रस्त होने जैसी घटनाएं सामने आईं।
जून में उत्तराखंड में वर्षा की स्थिति
- बागेश्वर, 573.1, 146.3, 292
- चमोली, 316.4, 104.7, 202
- टिहरी गढ़वाल, 239.9, 129.5, 85
- देहरादून, 306.5, 193.4, 58
- रुद्रप्रयाग, 315.4, 220, 43
- हरिद्वार, 163.8, 134.3, 22
- ऊधमसिंह नगर, 195.7, 174.5, 12
- उत्तरकाशी, 195.4, 176.6, 11
- पौड़ी गढ़वाल, 163, 150.8, 08
- अल्मोड़ा, 144.1, 146.3, -1
- चंपावत, 196.6, 211.9, -7
- पिथौरागढ़, 224.6, 248.9, -10
- नैनीताल, 214.5, 265.8, -19
- प्रदेश में औसत वर्षा, 240.7, 176.8, 36
देहरादून में आज भी भारी वर्षा के आसार
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार आज भी देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और बागेश्वर में भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। शेष जिलों में भी गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा के दौर हो सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और निचले इलाकों में बाढ़ को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी गई है। चारधाम व यात्रा मार्गों पर भी वर्षा के तीव्र दौर हो सकते हैं।
अलर्ट के चलते प्रदेश के कई जिलों में आपदा की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन को सक्रिय कर दिया है। जिलों में मॉक ड्रिल, राहत शिविरों की स्थापना और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दी जा रही है।