सुप्रीम कोर्ट ने जजों की संपत्ति सार्वजनिक की, कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड हुई जानकारी

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पीटीआई। न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। सर्वोच्च अदालत के जजों ने सोमवार को अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश किया। जजों की संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है, जिससे यह सभी दस्तावेज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहें।

सुप्रीम कोर्ट ने दी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि “1 अप्रैल 2025 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने सुनिश्चित किया था कि सभी जजों की संपत्ति सार्वजनिक की जाएगी। इसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। अन्य जजों की संपत्ति से जुड़ी जानकारियां भी अपलोड की जा रही हैं।”

नियुक्ति प्रक्रिया भी सार्वजनिक

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को भी सार्वजनिक करने का फैसला किया है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति कैसे होती है, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे भी पब्लिक डोमेन में रखने की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाई कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम कैसे काम करता है? जजों की नियुक्ति के संबंध में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों क्या इनपुट देती हैं और सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम सिस्टम कैसे काम करता है? यह सभी चीजें अब आम जनता की जानकारी में रहेंगी।

SC ने जारी किया स्टेटमेंट

सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा-9 नवंबर, 2022 से 5 मई, 2025 की अवधि के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित प्रस्तावों को सार्वजनिक किया जाएगा। इनमें नाम, उच्च न्यायालय, पिछला पद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिश की तारीख, न्याय विभाग द्वारा अधिसूचना की तारीख, नियुक्ति की तारीख, विशेष श्रेणी (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यक/महिला) और क्या उम्मीदवार किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से संबंधित है? जैसी सभी जानकारियां सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी हैं।

क्यों लिया फैसला?

बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे कैश कांड के आरोपों के बाद सु्प्रीम कोर्ट ने सभी जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने की घोषणा की थी। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय और खासकर कॉलेजियम सिस्टम में जजों की नियुक्तियां अक्सर सवालों के कठघरे में आती हैं, जिसमें पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला किया है।

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