देहरादून। देवभूमि में चारधाम समेत अन्य प्रमुख धार्मिक यात्राओं और मेलों के बेहतर प्रबंधन व सुव्यवस्थित संचालन के दृष्टिगत राज्य में उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद जल्द ही अस्तित्व में आएगी।
चारधाम की शीतकालीन यात्रा की समीक्षा बैठक के दौरान पर्यटन विभाग की ओर से परिषद को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि परिषद के गठन की दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं। राज्य में वर्षभर तमाम यात्राएं व मेलों का आयोजन होता है, लेकिन बेहतर प्रबंधन एवं संचालन की दृष्टि से कई बार व्यवस्था धड़ाम हो जाती है। कारण यह कि इनके लिए तैयारियां समय से नहीं हो पातीं।
गंगोत्री की यात्रा के दौरान आई थीं दिक्कतें
चारधाम यात्रा में इस बार गंगोत्री की यात्रा के दौरान दिक्कतें आई थीं। इस सबको देखते हुए राज्य में ऐसी परिषद व संस्था गठित करने पर जोर दिया गया, जो वर्षभर राज्य में होने वाली यात्राओं व मेलों का सुव्यवस्थित संचालन करे। इसी क्रम में उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद के गठन दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मुख्यमंत्री को बताया गया कि परिषद की तीन समितियां गठित की जाएंगी।
यात्राओं व मेलों के लिए नीतियां निर्धारित करेगी परिषद
नीति निर्धारण एवं मार्गदर्शन समिति धार्मिक यात्राओं व मेलों के लिए नीतियां निर्धारित करेगी। साथ ही इनके सुगम, सुरक्षित व सुव्यवस्थित आयोजन को आवश्यक सुझाव एवं मार्गदर्शन देगी। नियोजन एवं समन्वय समिति द्वारा नीतियों व दिशा-निर्देशों का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाएगा।
वार्षिक कार्ययोजना भी करेगी तैयार
साथ ही वह वार्षिक कार्ययोजना भी तैयार करेगी। अनुसूचित यात्राओं व मेलों के आयोजन, प्रबंधन एवं नियंत्रण का जिम्मा क्रियान्वयन प्रबंधन एवं नियंत्रण समिति के पास रहेगा।
ये यात्राएं होंगी
परिषद के अधीन परिषद के अधीन प्रथम चरण में चारधाम, आदि कैलाश, पूर्णागिरी यात्रा और श्रीनंदा राजजात को शामिल किया जाएगा। धीरे-धीरे अन्य धार्मिक यात्राओं व मेलों को इसके अधीन लाया जाएगा।
चारधाम की वहन क्षमता भी आंकलित
बताया गया कि प्रारंभिक तौर पर चारधाम की वहन क्षमता भी आंकलित की गई है। केदारनाथ के लिए 17894, बदरीनाथ के लिए 15088, गंगोत्री के लिए 9016 और यमुनोत्री के लिए 7881 प्रतिदिन की वहन क्षमता आंकलित की गई है।