एसटीएच के 659 कर्मचारी परेशान,पांच महीने से वेतन नहीं मिला, आर्थिक संकट में कर्मचारी

हल्द्वानी। राज्य का पहला सरकारी मेडिकल कालेज और इससे जुड़ा कुमाऊं का सबसे बड़ा डा. सुशीला तिवारी अस्पताल। जहां उपनल के जरिये कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। इस समय यह संख्या 659 है। इसमें गार्ड से लेकर सफाई कर्मचारी, फार्मासिस्ट व तकनीशियन तक शामिल हैं। शासन ने इन्हें पिछले 18 वर्षों तक नियमित वेतन दिया, लेकिन अब अचानक झटका दे दिया। अब ये कर्मचारी पांच महीने से वेतन को तरस गए हैं।

जनप्रतिनिधियों के दर पर गुहार लगाते हुए थक चुके हैं। सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों का दावा है कि समाधान निकाला जा रहा है और विपक्षी दल के विधायक ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने का वादा किया है। भले इन कर्मचारियों की नियुक्ति निर्धारित पद के सापेक्ष नहीं हुई थी लेकिन पिछले 18 वर्षों में इनकी नियुक्ति होती रही।

जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों से अनुरोध करते हुए थक गए हैं। अब तक कोई समाधान नहीं निकला। सभी कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। स्कूल में फीस भरना मुश्किल हो गया है। ऐसे में बच्चों के नाम काटने तक की धमकियां मिल रही हैं। मकान मालिक कमरे से सामान फेंकने तक की धमकी दे रहे हैं। सभी कर्मचारी भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। वेतन न मिलने के कारण त्योहार मनाना भी मुश्किल हो गया है। – पूरन चन्द्र भट्ट, उपनल कर्मचारी

20 वर्ष से कार्यरत कर्मचारियों से अब कहा जा रहा है कि पद सृजित ही नहीं हैं। जबकि कर्मचारी सेवानिवृत्ति की ओर हैं। ऐसे में पांच माह से वेतन न मिलना कितना कष्टदायी हो रहा होगा, यह समझा जा सकता है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन मौन है। हम कर्मचारियों को बहुत अधिक मुसीबत झेलनी पड़ रही है। सरकार न जीने दे रही है न ही मरने दे रही है। – तेजा सिंह बिष्ट, उपनल कर्मचारी

ये कर्मचारी मुझसे मिले थे। मैंने इनके सामने सही चिकित्सा शिक्षा सचिव व निदेशक से वार्ता की। पता चला है कि कुछ लोग न्यायालय भी गए हैं।ऐसे में सीधे तौर पर क्या कर सकते हैं? इनके पद भी सृजित नहीं हैं। इसलिए पद सृजित होना जरूरी है। इस मामले में जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इन कर्मचारियों से वार्ता की जाएगी। – बंशीधर भगत, विधायक, कालाढूंगी

ये पुराने कर्मचारी हैं। ये लगातार नियमितीकरण की लड़ाई लड़े थे और हाईकोर्ट से जीते भी थे। इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है। यही कर्मचारी हैं, कोविड के समय इनके लिए ताली-थाली बजवाई गई। आज पांच महीने से वेतन न देकर इनकी थाली में ही छेद कर दिया गया है। सरकार की मंशा जानबूझकर सिस्टम को आउटसोर्स करने करने की हो रही है। इस मुद्दे को मैं विधानसभा में भी उठाऊंगा। – सुमित हृदयेश, विधायक, हल्द्वानी

वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों का हम आदर करते हैं। मार्च से वेतन न मिला है। क्योंकि संबंधित मद में बजट नहीं था। अब इसके लिए 10 करोड़ रुपये का पुनर्विनियोग का प्रस्ताव पहले ही भेजा है। यह प्रस्ताव स्वीकृत होते ही प्राचार्य को बजट आवंटित कर दिया जाएगा। हालांकि इन पदों को शासन के अलग-अलग आदेशों के तहत अवैधानिक ठहराया गया है। फिर भी निर्धारित पदों के सापेक्ष समायोजित करने और पद सृजन की कोशिश की जा रही है। इसके लिए कई बैठकें हो चुकी हैं। – डा. आशुतोष सयाना, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *