लखनऊ, नगरों और महानगरों के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं देने का वादा करने के उद्देश्य से भाजपा ने भले ही संकल्प पत्र तैयार किया हो लेकिन निकाय चुनाव में जनता के बीच उसका जोर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर ही होगा। चुनावी समर में भाजपा कानून व्यवस्था के मुद्दे को ब्रह्मास्त्र की तरह अपने विरोधियों पर इस्तेमाल उन्हें परास्त करने की रणनीति पर चल रही है।
भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी शुरुआती चुनावी जनसभाओं में यह संकेत दे चुके हैं। प्रदेश में माफियाराज के खात्मे और कानून के राज की स्थापना के मुद्दे को लेकर वह मुखर हैं। वैसे तो अपराध के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर योगी सरकार शुरू से चल रही है लेकिन उमेश पाल की हत्या से लेकर अतीक-अशरफ हत्याकांड तक के घटनाक्रम ने अपराध और अपराधियों के खात्मे को लेकर जनता के बीच जो अकुलाहट पैदा की है, भाजपा उसे महसूस कर रही है।
बीत दो महीने से सुखिर्यों में रहे इस घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में भाजपा यह समझ रही है कि कानून व्यवस्था का मुद्दा बड़ा जन सरोकार है। इसलिए पार्टी गर्म तवे पर हथौड़े की चोट करने का मौका चूकना नहीं चाहती है। इस मुद्दे को उठाने का एक फायदा यह भी है कि अपराध और कानून व्यवस्था से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सभी प्रभावित हैं। इस विषय को क्षेत्रीयता के दायरे में नहीं बांधा जा सकता है। भाजपा यह जताना चाहती है कि नागरिकों में सुरक्षा का बोध बेहतर नगरीय जीवन की पहली शर्त है।
चुनावी जनसभाओं के मंच से पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि पेशेवर अपराधियों और माफिया पर नकेल कसने का साहस और सामर्थ्य सिर्फ उसमें है। सांप्रदायिक दंगों से सूबे को मुक्ति दिलाने का श्रेय भी वह जनता के बीच लेना चाहेगी। कानून व्यवस्था की धार को मुख्यमंत्री जनता के बीच पैना कर ही रहे हैं, इस मुद्दे को लेकर सरकार और समूचा भाजपा संगठन उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।