रुद्रप्रयाग: पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर की जीर्ण-शीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य बदरी-केदार मंदिर समिति ने विधि-विधान एवं पूजा-अर्चना के साथ शुरू कर दिया है। यह कार्य एक दानदाता के सहयोग से किया जा रहा है। छतरी लगाने को लेकर मंदिर के कलश को भी उतारा गया है।
तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य पर भी हो रहा विचार
बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि तुंगनाथ मंदि के जीर्णोद्धार कार्य पर भी विचार हो रहा है। इस संबंध में आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया तथा जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया को पत्र लिखा गया है, ताकि विशेषज्ञों की राय के अनुसार, मंदिर जीर्णोद्धार का कार्य किया जा सके।
विगत कई वर्षों से तुंगनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित छतरी के जीर्णोद्धार की मांग कर रही थी, लेकिन इस संबंध में कार्य नहीं हो पाया था।
अंतिम चरण में है छतरी निर्माण का कार्य
मंदिर समिति अध्यक्ष ने इस संबंध में दानदाताओं से संपर्क किया था। इसी का नतीजा है कि मंदिर की शीर्ष छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया। छतरी निर्माण तथा नक्काशी कर रहे कारीगरों द्वारा पहले की तरह देवदार की लकड़ी से नई छतरी का निर्माण किया जा रहा है। इस तरह अब छतरी निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है।
जल्द ही मंदिर के शीर्ष पर विराजमान होगी नई छतरी
नई छतरी को अतिशीघ्र मंदिर के शीर्ष पर विराजमान किया जाएगा। इसके लिए मंदिर के शीर्ष कलश को भी मुहूर्त निकाल कर रविवार को उतारा गया है। इसी तरह विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी की मंदिर की छतरी का नवनिर्माण प्रस्तावित है।
यह लोग मौके पर रहे मौजूद
इस मौके पर छतरी का जीर्णोद्धार करने वाले दानदाता संजीव सिंघल के प्रतिनिधि सहित मंदिर समिति के सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवाण, अवर अभियंता विपिन कुमार, भूतनाथ के पश्वा राजेंद्र भंडारी, प्रबंधक बलबीर नेगी, मठापति रामप्रसाद मैठाणी, रवीन्द्र मैठाणी, भरत मैठाणी समेत बड़ी संख्या में मंदिर समिति के कर्मचारी मौजूद थे।