देहरादून। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बुधवार को कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़ में कई ठिकानों पर तलाशी ली गई है। बता दें, हरक सिंह रावत ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
भाजपा सरकार में राज्य के वन मंत्री के रूप में रावत के कार्यकाल के दौरान, रावत और उनके कुछ विभागीय अधिकारियों पर टाइगर सफारी परियोजना के तहत कॉर्बेट पार्क के पाखरो रेंज में अवैध पेड़ काटने और निर्माण में शामिल होने से संबंधित गंभीर आरोप लगे।
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि पाखरो बाघ सफारी के लिए 163 की अनुमति के खिलाफ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में 6000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे। हालांकि, राज्य वन विभाग ने एफएसआई के दावों का खंडन किया और कहा कि रिपोर्ट को अंतिम रूप से स्वीकार करने से पहले कुछ तकनीकी मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि रावत से जुड़ी संपत्तियां ईडी अधिकारियों द्वारा जांच के दायरे में आई हैं। इससे पहले उत्तराखंड सतर्कता टीम ने देहरादून के शंकरपुर में एक संस्थान और छिद्दरवाला में एक पेट्रोल पंप पर छापे मारे थे। राज्य सतर्कता प्रमुख वी मुरुगेसन ने 30 अगस्त को कहा कि टीम ने दोनों स्थानों पर दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि दोनों संपत्तियां कांग्रेस नेता और पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत की हैं।
एएनआई से बात करते हुए मुरुगेसन ने कहा कि सतर्कता टीम ने पाया कि दोनों निजी स्थानों पर लगाए गए दो जनरेटर सेट सरकारी पैसे से खरीदे गए थे। उन्होंने कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है।
मुरुगेसन ने पुष्टि की कि शंकरपुर में दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और पेट्रोल पंप, जिस पर टीम ने बुधवार को छापा मारा, दोनों हरक सिंह रावत के बेटे के हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले से कोई संबंध है, सतर्कता प्रमुख ने कुछ भी पुष्टि नहीं की और कहा कि मामले की जांच चल रही है और मामले से जुड़ी सारी जानकारी बाद में सामने आ जाएगी। हरक सिंह रावत की संपत्तियों के खिलाफ नवीनतम सतर्कता अभियान का आदेश उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिया है।