देहरादून डीएम सविन बंसल को प्रोटोकॉल उल्लंघन का नोटिस: क्या यह उचित है?

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देहरादून डीएम सविन बंसल को प्रोटोकॉल उल्लंघन का नोटिस: क्या यह उचित है?
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल, जो अपने तेज-तर्रार प्रशासनिक कार्यों और जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में एक विवाद के केंद्र में आ गए हैं। उत्तराखंड शासन ने उन्हें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के 12 जून, 2025 को देहरादून दौरे के दौरान प्रोटोकॉल मानकों के कथित उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया है। इस घटना ने न केवल प्रशासनिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि क्या एक समर्पित अधिकारी को इस तरह की कार्रवाई का सामना करना उचित है, खासकर तब जब वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जन-केंद्रित विजन को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, 12 जून, 2025 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) में 127वें इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान देहरादून के डीएम सविन बंसल पर आरोप लगा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को उचित प्रोटोकॉल और सम्मान नहीं दिया। इस मामले को गंभीर मानते हुए भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 19 जून को पत्र जारी कर चिंता जताई, जिसके बाद उत्तराखंड शासन ने सविन बंसल से स्पष्टीकरण मांगा है।
सविन बंसल: जनता के बीच लोकप्रिय, प्रशासन में सख्त
2009 बैच के आईएएस अधिकारी सविन बंसल, जो मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं, उत्तराखंड में अपनी कर्तव्यनिष्ठा और जन-केंद्रित कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। देहरादून डीएम के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से उन्होंने कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। चाहे वह ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना हो, शराब ठेकों पर ओवर रेटिंग के खिलाफ कार्रवाई करना हो, या फिर भूमाफियाओं के खिलाफ सख्ती, सविन बंसल ने हमेशा जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी है। उन्होंने जनसुनवाई में अनेकों शिकायतों का निपटारा किया और कई मामलों में तत्काल समाधान सुनिश्चित किया। इसके अलावा, उन्होंने आबकारी नियमों में बदलाव कर देहरादून में बार संचालन की समय सीमा को रात 11 बजे तक सीमित कर दिया, जिसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक साहसिक कदम माना गया।सविन बंसल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन ‘सशक्त उत्तराखंड’ को जमीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। धामी सरकार का जोर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, पारदर्शी प्रशासन और जनता की सुविधा पर है, और सविन बंसल इस दिशा में सक्रियता से काम कर रहे हैं। उनके द्वारा किए गए औचक निरीक्षण, जैसे सदर तहसील कार्यालय में कर्मचारियों की अनुशासनहीनता पर कार्रवाई और पंचायत चुनाव की तैयारियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, उनकी कार्यशैली का प्रमाण हैं।
नोटिस का सवाल: उचित या अतिशयोक्ति?
सविन बंसल को नोटिस जारी होने की खबर ने कई सवाल खड़े किए हैं। एक ओर, प्रोटोकॉल का पालन प्रशासनिक अनुशासन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उच्च पदस्थ अधिकारियों व गणमान्य व्यक्तियों के दौरे के दौरान इसकी अनदेखी को गंभीरता से लिया जाता है। लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के प्रति लापरवाही को शासन ने उचित नहीं माना।दूसरी ओर, सविन बंसल जैसे अधिकारी, जो जनता की सेवा में दिन-रात सक्रिय हैं, के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई को कुछ लोग अतिशयोक्ति मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज है। यह सवाल उठता है कि क्या एक समर्पित अधिकारी की छोटी-सी चूक को इतना तूल देना उचित है, खासकर तब जब उनका ध्यान जनता की सेवा पर केंद्रित है?
मुख्यमंत्री धामी का विजन और सविन बंसल की भूमिका
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जो स्वयं एक युवा और ऊर्जावान नेता हैं, ने उत्तराखंड को भ्रष्टाचार-मुक्त और विकासोन्मुखी राज्य बनाने का संकल्प लिया है। उनकी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और कानून-व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सविन बंसल जैसे अधिकारी इस विजन को लागू करने में अहम कड़ी हैं। उनकी सख्त कार्यशैली और जनता से सीधा संवाद धामी सरकार की नीतियों को मजबूती प्रदान करता है। ऐसे में, प्रोटोकॉल उल्लंघन जैसे मामले में नोटिस को कुछ लोग प्रशासनिक कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप मान रहे हैं।
सविन बंसल को नोटिस का मामला प्रशासनिक अनुशासन और जनसेवा के बीच संतुलन का सवाल उठाता है। एक ओर, प्रोटोकॉल का पालन महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर, एक अधिकारी जो जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देता है, उसे छोटी-सी चूक के लिए दंडित करना कितना उचित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि सविन बंसल जैसे अधिकारियों की मेहनत और निष्ठा उत्तराखंड के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, और उनकी कार्यशैली मुख्यमंत्री धामी के विजन को साकार करने में सहायक है।

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